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Wednesday, 11 May 2016

शशांकासन- दूर करे हृदय रोग

शशांक का अर्थ होता है खरगोश। इस आसन में बैठते समय व्यक्ति का आकार खरगोश के समान हो जाता है, इसलिए इसे शशांकासन कहते हैं।

विधि:- शशांकासन को करने के लिए नीचे दरी या चटाई बिछाकर बैठ जाएं। दोनो पैरों को घुटनों से मोड़कर पीछे की ओर नितम्ब (हिप्स) के नीचे रखें और एड़ियों पर बैठ जाएं। अब सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर की ओर करें। इसके बाद सांस को बाहर छोड़ते हुए धीरे-धीरे आगे की ओर झुकते हुए सांस को बाहर निकालें और दोनो हाथों को आगे की ओर फैलाते हुए हथेलियों को फर्श पर टिकाएं। अपने सिर को भी फर्श पर टिकाकर रखें। 

Shashankasana Poseआसन की इस स्थिति में आने के बाद कुछ समय तक सांस को बाहर छोड़कर और रोककर रखें। फिर सांस लेते हुए शरीर में लचक लाते हुए पहले पेट को, फिर सीने को, फिर सिर को उठाकर सिर व हाथों को सामने की तरफ करके रखें। कुछ समय तक इस स्थिति में रहे और फिर सीधे होकर कुछ समय तक आराम करें और पुन: इस क्रिया को करें। इस क्रिया को 4 से 5 बार करें। लाभ:- शशांकासन के अभ्यास से हृदय रोग दूर होते हैं, इसलिए हृदय रोगियों के लिए यह आसन अधिक लाभकारी है। इस आसन की क्रिया में श्वासन करने से फेफड़ों में स्वच्छ हवा पहुंचने से फेफड़े स्वस्थ बन जाते हैं। इस आसन को करने से आंते, यकृत, अग्न्याशय भी स्वस्थ होते हैं। इस आसन से नसें-नाड़ियां स्वस्थ व लचीली होकर सुचारू रूप से कार्य करती है। यह आसन नितंब और गुदा स्थान के मध्य स्थित मांसपेशियों को सामान्य रखता है। इस अभ्यास से साइटिका के स्नायुओं को शिथिल करता है और एड्रिनल ग्रंथि के कार्यों को नियमित करता है। यह आसन कब्ज को दूर करता है तथा सामान्य रूप से कामविकारों को दूर करता है। यह आसन उन महिलाओं के लिए भी लाभकारी है, जिनका वस्तिप्रदेश अविकासित होता है। 

सावधानी- अगर आप वर्टिगो, स्‍लिप डिस्‍क, हाई ब्‍लड प्रेशर संबन्‍धी समस्‍या से पीडित हैं तो इसे न करें।




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