Total Pageviews

Wednesday, 11 May 2016

भ्रामरी योगा

तनाव दूर करने के लिए योगा से बेहतर और क्‍या हो सकता है। योग में कई ऐसे अभ्‍यास हैं, जिनका पालन करके आप चिंता और तनाव से छुटकारा पा सकते हैं। इस अभ्यास को प्रतिदिन की आदत बनाएं और दिमागी तनाव से उबरें।
दिमाग में शांति के लिए इस प्राणायाम का अभ्यास करें। योग की परम्परा के अनुसार आपको व्यायाम के दौरान अपनी नाक पर केंद्रित करना चाहिए। भ्रामरी के दौरान आपके नाक से किस प्रकार की आवाज़ आ रही है आपको इस बात पर ध्यान देना चाहिए जिससे कि बुरे ख्याल दिमाग में नहीं आते और दिमाग स्वच्छ रहता है। पूरे दिन की थकान के बाद यह गहरे ध्यान की मुद्रा में जाने का सबसे अच्छा तरीका है।
Bhramari Pranayama आसन का अभ्यास कैसे करें:
 अपनी आंखें बंद कर ध्यान की मुद्रा में बैठ जायें और नाक से गहरी सांस लें।
  • सामान्य आवाज़ के साथ हमिंग की आवाज़ से शुरूवात करें। अपनी जीभ के आगे के भाग को मुंह के उपर की ओर ले जायें।
  • अगर आपकी जीभ बहुत तेज़ी से दबेगी तो गले का रास्ता पूरी तरह से बंद हो जायेगा और किसी तरह की आवाज़ नहीं आयेगी।
  • ध्यान रखे कि कैसे जीभ को थोड़ा सा भी उठाने से आपके गले से किस प्रकार की आवाज़ आती है। नाक में मक्खी जैसी आवाज़ का अनुभव कंपन की तरह होना चाहिए।
  • व्यायाम की शुरूवात में सिर्फ सांस बाहर की ओर लेते समय इस तरह की आवाज़ होती है।
  • सांस लेते समय अपने गले और जीभ को सामान्य रूप से सांस लेने दें। जब आप व्यायाम की दिशा में आगे बढ़े तो सांस छोड़ते समय भी इस आवाज़ का अनुभव करें।
सावधानियां:
 भ्रामरी को प्रतिदिन हमेशा खाली पेट दो से तीन मिनट तक करें और फिर 5 मिनट तक करें और धीरे धीरे आप अपनी सुविधानुसार समय बढ़ा सकते हैं ।
  • अधिक लाभ के लिए अपनी आंखे बंद करके शांति से बैठ जायें और अपने दिमाग में शांति का अनुभव करें। ध्यान के दौरान सिर्फ श्वास का अनुभव करें ।
 लाभ:
भ्रामरी का सीधा प्रभाव विशुद्ध चक्र पर होता है जो कि गले का केन्द्र होता है। हमिंग की आवाज़ पूरे शरीर और मन का केन्द्र होती है ।

No comments:

Post a Comment