Total Pageviews

Monday, 30 May 2016

मधुमेह मुक्त भारत अभियान योग

1-     प्रारम्भिक प्रार्थना 
ॐ सह नाववतु ।   सह नौ भुनक्तु ।     सहवीर्यं करवावहै ।   तेजस्वि नावधीतमस्तु ।  मा विद्विषावहै ।।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ।।


अर्थ :- हे प्रभु ! हम (गुरु और शिष्य ) दोनों की  एक साथ हर प्रकार से रक्षा करे , हम दोनों का पालन पोषण करे।  हम दोनों में एक साथ कार्य करने की शक्ति प्रदान करे।  हम दोनों की अध्ययन की हुई विद्या तेजपूर्ण हो हम किसी से विद्या में परास्त न हो।  हम दोनों में एक दूसरे के प्रति जीवन भर स्नेह बना रहे।  हम कभी भी किसी भी समय एक दूसरे से घृणा न करे।  आदि दैविक, आदि भौतिक तथा आदि आध्यात्मिक तीनो प्रकार के तापो से हमे शांति मिले।  


1-     सूर्य नमस्कार मंत्र
हिरण्यमयेन पात्रेण सत्यस्यापिहितं मुखम्।  तत्त्वं पुषन्नपावृणु सत्य धर्माय दृष्टये।।

अर्थ :- (सत्य का मुख सोने के पात्र (निहित स्वार्थ) के ढक्कन से ढका हुआ है. हे सूर्य देवता तुम उसे हटा दो तकि हम यह जान सकें कि सत्य और और धर्म क्या हैं. दूसर शब्दों में निहित स्वार्थ यथार्थ बोध के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा हैं. इस छन्द से विदित होता है कि वैदिक युग में भी धार्मिक परंपराओं में घुस आये अंधविश्वासों को दूर कर सच को सामने लाने वाले मनीषियों को निहित स्वार्थों का घोर विरोध का सामना करना पड़ता होगा।

12 सूर्य नमस्कार मंत्र

1-  ओउम ह्रां मित्राय नमः
2-  ओउम ह्रीं रवये नमः
3-  ओउम ह्रुं सूर्याय नमः
4-  ओउम  ह्रैं भानवे नमः
5-  ओउम ह्रौं खगय नमः
6-  ओउम ह्रः पूष्णे नमः
7-  ओउम ह्रां हिरण्यगर्भाय नमः
8-  ओउम ह्रीं मरिचाय नमः
9-  ओउम ह्रुं आदित्याय नमः
10-    ओउम  ह्रैं सावित्रे नमः
11-    ओउम ह्रौं अर्काय नमः
12-    ओउम ह्रः भास्कराय नमः




2-     प्राणायाम 

1-     प्रारम्भिक प्रार्थना :-
प्राणस्येदं वशे सर्वं त्रिदिवे यत्प्रतिष्ठितं |
मातेव पुत्रान् रक्षस्व श्रीश्च प्रज्ञां च विधेहि न इति ||
                                                                                                   (प्रश्नोपनिषद, 2 / 13)

सभी जगह प्राण वसा हुआ है।  तीनो देवो में भी वही विराजमान है।  हे प्राण मेरी उसी प्रकार से रक्षा कर जिस प्रकार एक मत अपने पुत्र की रक्षा करती है।  हममे कार्य कार्नर की क्षमता (कांति) और ज्ञान (प्रज्ञा) प्रदान करे।  

2-     कपाल भाति :-
एक मिनट में ३० बार।
पहले धीरे - धीरे कपालभाति का अभ्यास करेंगे फिर उसके बाद धीरे - धीरे बढ़ाते जायेंगे और अंत में अभयास को अचानक बंद करने के बाद ऐसा महसूस करेंगे की कुछ क्षण के लिए सहज कुम्भक लग गया है यानि स्वास का आना जाना बंद हो गया है।  इस अवस्था में अपने मन के अंदर अनन्त नील आकाश की भांति चारो तरफ शांति ही शांति तथा आनंद ही आनंद परमानन्द की अनुभूति करे।  इस परम आनंद और परम शांति की अवस्था को थोड़ी देर बनाए रखे।

इसका लाभ

इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से शरीर की अनावश्यक चर्बी घटती है। हाजमा ठीक रहता है। भविष्य में कफ से संबंधित रोग व साँस के रोग नहीं होते। प्राय: दिन भर सक्रियता बनी रहती है। रात को नींद भी अच्छी आती है।

3-      नाड़ी शुद्धि :-
नाड़ी  शुद्धि करने से हमारे शुक्ष्म शारीर की ७२ लाख नाड़ियाँ शुद्ध होती है।  इस प्राणायाम करने से पहले अपने बाएं हाथ की चिन मुद्रा तथा दाएं हाथ की नासिका मुद्रा बनायें।  दाएं अंगूठे से दाएं नासिका को दबाकर बाएं नासिका से स्वांस को बाहर निकाले।  फिर धीरे - धीरे बाएं नासिका से स्वांस अंदर ले और बाएं नासिका को दबाकर पूरी  स्वांस को दाएं नासिका से बाहर निकले।  फिर दाएं नासिका से श्वांस अंदर लेकर पूरी श्वांस को बाएं नासिका से धीरे - धीरे अंदर ले।  यह एक बार नाड़ी  शुद्धि हुआ।  इसमें श्वांस इतना धीरे - धीरे लेना व् छोड़ना चाहिए कि आवाज अपने आप को ही न सुनाई पड़े।  ऐसे ५ , ९  या २७ बार नाड़ी  शुद्धि जैसा समय हो उसके अनुसार करे।  यह प्राणायाम सभी रोगों में लाभदायक है। 

इसका लाभ : इससे सभी प्रकार की नाड़ियों को स्वस्थ लाभ मिलता है साथ ही नेत्र ज्योति बढ़ती है और रक्त संचालन सही रहता है। अनिद्रा रोग में लाभ मिलता है। यह तनाव घटाकर मस्तिष्क को शांत रखता है तथा व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा का विकास करता है।

4-     भ्रामरी 

जीभ को तालू  से स्पर्श करने के बाद मुख बंद कर नासिका से श्वांस बाहर निकलते हुए '' कार उच्चारण लम्बे समय तक करेंगे।  लम्बा व् गहरा श्वांस ले।  
न................................................................................................... एक बार भ्रामरी हुआ।  ऐसे ही ९ बार और करे।

इसका लाभ-  इसके अलावा यदि किसी योग शिक्षक से इसकी प्रक्रिया ठीक से सीखकर करते हैं तो इससे हृदय और फेफड़े सशक्त बनते हैं। उच्च-रक्तचाप सामान्य होता है। हकलाहट तथा तुतलाहट भी इसके नियमित अभ्यास से दूर होती है। योगाचार्यों अनुसार पर्किन्सन, लकवा, इत्यादि स्नायुओं से संबंधी सभी रोगों में भी लाभ पाया जा सकता है।


3-     आवर्तन ध्यान (साइक्लिक मेडिटेशन )

लये संबोधयेत  चित्तं विक्षित्तम् शमएत पुनः।
सकषायम विजानियात सम्प्राप्तम् न चालयेत।।
-         मांडूक्य उपनिषद ३. ४४ 

प्रार्थना से उत्त्पन्न कम्पन्न को शारीर में महसूस करे। 
इस श्लोक का तात्पर्य यह कि जब हमारा मन अधिक शिथिल और  ढीला पड़ जाए तो उसे जगाइए और जब मन अधिक तीब्र गति से  इधर उधर विक्षिप्त की भांति भाग रहा  हो तो उसे शांत करने का प्रयास करे ऐसा प्रयास करे कि दोनों ही स्थितियों से  एक सम स्थिति में आ जाए।  और पुनः मन सम स्थिति से चंचल न हो। 

4-     शांति मंत्र
ओम सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ।।

इसका तात्पर्य यह है कि सभी लोग सुखी हो , सभी लोग बिमारियों से मुक्त हो।  सभी लोग अच्छा और शुभ ही देखे।  किसी को किसी प्रकार का कोई दुःख न हो।  यदि दुःख हो जाय तो वह जल्द ही दूर हो जाय।  सभी को आदि दैविक, आदि भौतिक, आदि आध्यात्मिक दुःखो से शांति व् मुक्ति मिले। 
                                                                                       

साप्ताहिक योगाभ्यास
नाम
स्थिति
अभ्यास
श्वसन अभ्यास
ताड़ासन (खड़े होकर)
हैंड इन एंड आउट श्वसन अभ्यास
शिथिलीकरण अभ्यास (5 मिनट )
ताड़ासन (खड़े होकर)
हस्तउत्तानासन - पादहस्तासन
अश्वसंचालनासन अभ्यास
PRONE (पेट के बल लेटकर)
भुजंगासन - पर्वतासन
सुखासन या वज्रासन में बैठकर अ, , म का जाप
सूर्यनमस्कार
(बीज मंत्र  के साथ)
1- ओउम ह्रां मित्राय नमः
2-
ओउम ह्रीं रवये नमः
3-
ओउम ह्रुं सूर्याय नमः
4-
ओउम  ह्रैं भानवे नमः
5-
ओउम ह्रौं खगय नमः
6-
ओउम ह्रः पूष्णे नमः
7-
ओउम ह्रां हिरण्यगर्भाय नमः
8-
ओउम ह्रीं मरिचाय नमः
9-
ओउम ह्रुं आदित्याय नमः
10-
ओउम  ह्रैं सावित्रे नमः
11-
ओउम ह्रौं अर्काय नमः
12-
ओउम ह्रः भास्कराय नमः
1- हस्तउत्तानासन
2- पादहस्तासन
3- अश्वसंचालनासन
4- तुलासन
5- शशांकासन
6- षाष्टांग प्रणिपादहस्तासन
7- भुजंगासन
8- पर्वतासन
9- शशांकासन
10- अश्वसंचालनासन
11- पादहस्तासन
12- हस्तउत्तानासन
रिलेक्सेशन तकनिकी
क्वीक रिलेक्सेशन तकनिकी (क्यू आर टी )
आसन 
वक्रासन
प्राणायाम
कपालभांति , नाड़ी शुद्धि
भ्रामरी
एडवांस तकनिकी
आवर्त ध्यान (सी एम 30 मिनट )


No comments:

Post a Comment