उष्टासन के लाभ – Benefits of Ustrasana
उष्टासन शरीर के अगले भाग को लचीला एवं मजबूत बनाता है. इस आसन से छाती फैलती है और फेफड़ों की कार्य क्षमता में बढ़ोत्तरी होती है. मेरूदंड एवं पीठ को मजबूत एवं सुदृढ़ बनाये रखने के लिए भी इस आसन का अभ्यास लाभप्रद होता है. जंघाओं में मौजूद तनाव को दूर करने में भी यह आसन सहायक होता है.
उष्टासन शरीर के अगले भाग को लचीला एवं मजबूत बनाता है. इस आसन से छाती फैलती है और फेफड़ों की कार्य क्षमता में बढ़ोत्तरी होती है. मेरूदंड एवं पीठ को मजबूत एवं सुदृढ़ बनाये रखने के लिए भी इस आसन का अभ्यास लाभप्रद होता है. जंघाओं में मौजूद तनाव को दूर करने में भी यह आसन सहायक होता है.
उष्टासन अवस्था – Ustrasana Technique
इस आसन में जब आप शरीर को पीछे की ओर खींचते हैं उस समय जंधाओं को ज़मीन के लम्बवत रखने की कोशिश करनी चाहिए. आसन के क्रम में सिर को पीछे झुकाने से गर्दन में तनाव हो सकता है अत: सिर को पीछे की ओर नहीं झुकाना चाहिए. अगर गर्दन में तनाव महसूस हो तो ठोढ़ी को छाती से लगा सकते हैं. जब आसन से वापस लौट रहे हो उस समय गर्दन को आरामदायक स्थिति में रखते हुए शरीर के ऊपरी भाग को उठाना चाहिए फिर सिर को सीधा करना चाहिए. अभ्यास के क्रम में अगर घुटनों में पीड़ा महसूस हो तो आप घुटनों एवं पैरों के नीचे कम्बल मोड़ कर रख सकते हैं.
इस आसन में जब आप शरीर को पीछे की ओर खींचते हैं उस समय जंधाओं को ज़मीन के लम्बवत रखने की कोशिश करनी चाहिए. आसन के क्रम में सिर को पीछे झुकाने से गर्दन में तनाव हो सकता है अत: सिर को पीछे की ओर नहीं झुकाना चाहिए. अगर गर्दन में तनाव महसूस हो तो ठोढ़ी को छाती से लगा सकते हैं. जब आसन से वापस लौट रहे हो उस समय गर्दन को आरामदायक स्थिति में रखते हुए शरीर के ऊपरी भाग को उठाना चाहिए फिर सिर को सीधा करना चाहिए. अभ्यास के क्रम में अगर घुटनों में पीड़ा महसूस हो तो आप घुटनों एवं पैरों के नीचे कम्बल मोड़ कर रख सकते हैं.
सावधानियां
इस आसन का अभ्यास उस स्थिति में नहीं करना चाहिए जबकि आप हर्नियां से पीड़ित हों. गर्दन एवं कंधों में तकलीफ होने पर इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए. कमर व घुटनों में पीड़ा होने पर भी इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए.
इस आसन का अभ्यास उस स्थिति में नहीं करना चाहिए जबकि आप हर्नियां से पीड़ित हों. गर्दन एवं कंधों में तकलीफ होने पर इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए. कमर व घुटनों में पीड़ा होने पर भी इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए.
योग क्रिया – Ustrasana Yoga Step by Step
- स्टेप 1 घुटनों के बल ज़मीन पर बैठ जाएं. हिप्स को थोड़ा फैलाएं और पैर की उंगलियों को अंदर की ओर मोड़ें.
- स्टेप 2 हाथों को कमर पर रखें. इस अवस्था में उंगलियां ज़मीन की ओर होनी चाहिए.
- स्टेप 3 जंघाओं और पेडु को आगे की ओर दबाएं.
- स्टेप 4 छाती को फुलाकर सांस लें. मेरूदंड को सीधा तान कर रखें.
- स्टेप 5 कंधों और बांहों को पीछे की ओर ले जाएं.
- स्टेप 6 छाती को ऊपर उठाएं और शरीर के ऊपरी भाग को पीछे की ओर मोड़ें.
- स्टेप 7 सिर को सीधा रखें और सामने देखें. गर्दन सीधा तान कर रखें.
- स्टेप 8 दाएं हाथ को दाएं पैर पर ले जाएं. और हथेलियों को टखनों अथवा ऐड़ियों पर रखें.
- स्टेप 9 बांए हाथ को से बाएं टखनों अथवा ऐड़ियों को पकड़ें.
- स्टेप 10 गर्दन को उठाएं और सिर को पीछे झुकाकर छत की ओर देखें.
- स्टेप 11 इस मुद्रा में 30 सेकेण्ड से 1 मिनट तक बने रहें.
- स्टेप 12 धीरे धीरे सामान्य स्थिति में लौट आएं.
No comments:
Post a Comment