भूमिस्पर्श मुद्रा
इस मुद्रा में पृथ्वी का स्पर्श या आह्वान किया जाता है। इस मुद्रा में हमेशा सीधा हाथ भूमि को स्पर्श करता दिखता है जबकि बायां हाथ गोद में रखा जाता है। बुद्ध की इस मुद्रा के बारे में कहा जाता है कि जब उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी तो वे इस मुद्रा में आसीन थे। ये मुद्रा असीम शक्ति और सत्य व ज्ञान प्राप्ति के प्रति बुद्ध के समर्पण का प्रतिनिधित्व करती है। इस ऊर्जा के सहारे ही बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हो पाई थी तथा ज्ञान प्राप्ति के मार्ग में आ रही बाधाओं से संघर्ष करने व अज्ञान के अंधकार से लडऩे में सहायता मिली थी। बुद्ध की इस मुद्रा की प्रतिमा को आप घर के केंद्र, मुख्य द्वार या फिर पूजाघर या किसी पवित्र स्थल पर लगा सकते हैं।
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